दक्षिण काली माता की साधना तंत्र और शक्ति उपासना की अत्यंत प्रभावशाली साधना मानी जाती है। यह साधना साधक को भयमुक्त करती है, आंतरिक शक्ति प्रदान करती है और त्वरित सिद्धि दिलाने वाली होती है।
साधना करने का उचित समय
- अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, काली चौदस, या दीपावली की रात सबसे उपयुक्त होती है।
- मध्यरात्रि (12:00 AM से 3:00 AM) या ब्रह्म मुहूर्त में साधना करें।
- शनिवार या मंगलवार की रात भी शुभ मानी जाती है।
साधना के लिए आवश्यक सामग्री
- माता काली की प्रतिमा या चित्र
- काले वस्त्र पहनें
- लाल या काले आसन पर बैठें
- 108 मनकों वाली रुद्राक्ष या काली हकीक की माला
- सरसों के तेल का दीपक और धूप
- काली मिर्च और गुड़ का भोग
- लाल या काले पुष्प
साधना की विधि
स्थान चयन:
- साधना एकांत में करें, विशेष रूप से श्मशान, पीपल वृक्ष के नीचे, या अपने घर के किसी शांत स्थान में।
- भूमि पर काले या लाल वस्त्र बिछाकर आसन लगाएं।
स्नान एवं संकल्प:
- स्वच्छ स्नान कर काले वस्त्र धारण करें।
- माता काली को प्रणाम कर संकल्प लें – "मैं दक्षिण काली माता की कृपा प्राप्ति हेतु यह साधना कर रहा हूँ। माता मुझे सिद्धि प्रदान करें।"
दीप प्रज्वलन एवं पूजन:
- माता काली के समक्ष दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- लाल पुष्प, काली मिर्च, गुड़ और अन्य प्रसाद अर्पित करें।
- काली माता के पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें।
मुख्य मंत्र जप:
मन ही मन माता काली का ध्यान करें और निम्न मंत्र का जप करें—
॥ ॐ क्रीं काली क्रीं स्वाहा ॥
या
॥ ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं फट स्वाहा ॥
कम से कम 11 माला (108x11=1188) मंत्र जप करें।
पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति से जप करें।
हवन (यदि संभव हो):
- काले तिल, गुड़, काली उड़द, और सरसों के बीज से 108 आहुतियाँ दें।
- मंत्र उच्चारण के साथ "स्वाहा" कहकर सामग्री अग्नि में समर्पित करें।
भोग एवं प्रार्थना:
- माता को गुड़ व काली मिर्च का भोग लगाएं।
- उनसे रक्षा, सिद्धि, और कृपा की प्रार्थना करें।
साधना की समाप्ति:
- माता की आरती करें।
- चरणामृत लेकर प्रसाद ग्रहण करें।
- साधना के बाद किसी को भी साधना की चर्चा न करें।
महत्वपूर्ण सावधानियां:
- साधना पूर्ण निष्ठा और गुरु के मार्गदर्शन में करें।
- सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- भय, संशय या अधूरी श्रद्धा से साधना न करें।
- काली साधना तामसिक साधना नहीं, बल्कि शक्ति जागरण की प्रक्रिया है, इसलिए गलत उद्देश्य से इसे न करें।
साधना का लाभ
- भय, शत्रु, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
- आत्मबल और साहस की वृद्धि
- शीघ्र कार्य सिद्धि
- आध्यात्मिक शक्ति और तंत्र सिद्धि
यदि इस साधना को सही विधि से किया जाए, तो माता काली साधक को अपनी कृपा से अभय प्रदान करती हैं।

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